भाव स्पष्ट कीजिए -
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित ,
तेरे जीवन का अणु गल गल !
कवयित्री का मानना है कि मेरे आस्था के दीपक तू जल-जलकर अपने जीवन के एक-एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भाँति विस्तृत रुप में फैला दे ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सके।