' मुझे लगता है माधो औरत के कफन के चंदे की शराब पी गया, वही मुस्कान मालूम होती है ' से कया आशय है ( प्रेमचंद के फटे जूते)

इसमें भी लेखक प्रेमचंद के एक पात्र का वर्णन है, जो अपनी मरी स्त्री के कफन के पैसे शराब में पी जाता है। उसे शर्म नहीं आती कि उसकी जिस पत्नी ने सारी उम्र उसकी सेवा की अंत समय में वही पती उसके कफ़न के पैसे शराब में उड़ा देता है। उसे समय उसके पति के मुँह पर वह मुस्कान व्याप्त हो जाती है, मानो स्वयं का मजाक उड़ा रहा हो।

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