बालगोबिन भगत को अपने एकलौतेे बेटे के मारने पर दुःख क्यों नहीं हुआ? उन्होंने पतोहू को दूसरी शादी करने के लिए क्यों कहा?

बाल गोबिन भगत मृत्यु के सत्य को जानते थे। वे सांसारिक बंधनों से बंधे नहीं थे। उन्हें पता था कि मनुष्य जन्म के फेर में बंधकर इस संसार में विचरण करता है। मृत्यु उसे हर बंधन से मुक्त कर देती है। उसका मिलन परमात्मा से हो जाता है। अतः अपने पुत्र की मृत्यु पर वे दुखी नहीं होते। वे जानते हैं कि उनका पुत्र भगवान की शरण में चला गया है। अतः वह इस पल पर खुश होते हैं। जहाँ तक बात है बहू की तो वह जानते थे कि एक दिन वह भी मृत्यु को प्राप्त हो जाएँगे। उनके बाद उनकी बहू की देखभाल करने वाला कोई नहीं होगा। उसका जीवन नष्ट हो जाएगा। अतः वह बहू के भाई को उसके पुनः विवाह का आदेश देते हैं। इस तरह वह बहू के जीवन नष्ट होने से बचा लेते हैं।

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