छाया मत छूना पाठ किन भावों पर केंद्रित है?

मित्र 'छाया मत छूना' कविता में बीते हुए सुखों के कारण वर्तमान को और दुखी न करने की बात कही गई है। मनुष्य के जीवन में सुख तथा दुख तो आते-जाते रहते हैं। परंतु अगर हम पिछली यादों में खोए रहेंगे तो वर्तमान तथा भविष्य को उज्ज्वल नहीं बना पाएँगे। अत: मनुष्य को अपने वर्तमान को तटस्थ भाव से स्वीकार करना चाहिए। इस प्रकार वह अपने भविष्य को भी सुखद बना पाएगा। 

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