तुम्हारे क्लेश को अपने भीतर महसूस करके जैसे रो पढ़ना चाहता हूं मगर तुम्हारी आंखों का यह तीखा दर्द भरा व्यंग मुझे एकदम रोक देता है -पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए ??कृपया उत्तर जल्दी भेजिए
मित्र हम आपको उत्तर लिखकर दे रहे हैं।
प्रेमचंद बहुत ही साधारण वेशभूषा पहनकर फोटो खिंचवा रहे हैं। यहाँ तक कि उनका जूता भी आगे से फटा हुआ है। यह देखकर लेखक को प्रेमचंद की इस अवस्था पर रोने का मन करता है। वह प्रेमचंद की आर्थिक दुर्दशा को देखकर व्याकुल हो रहा है। परंतु प्रेमचंद की आँखों में एक अलग ही व्यंग्य तथा आत्मसम्मान झलक रहा है। यह दिखावटी जीवन जीने वालों पर करारी चोट कर रहा है। उनकी आँखों में ऐसी दृढ़ता देखकर लेखक रोना भूल जाता है।
प्रेमचंद बहुत ही साधारण वेशभूषा पहनकर फोटो खिंचवा रहे हैं। यहाँ तक कि उनका जूता भी आगे से फटा हुआ है। यह देखकर लेखक को प्रेमचंद की इस अवस्था पर रोने का मन करता है। वह प्रेमचंद की आर्थिक दुर्दशा को देखकर व्याकुल हो रहा है। परंतु प्रेमचंद की आँखों में एक अलग ही व्यंग्य तथा आत्मसम्मान झलक रहा है। यह दिखावटी जीवन जीने वालों पर करारी चोट कर रहा है। उनकी आँखों में ऐसी दृढ़ता देखकर लेखक रोना भूल जाता है।