holi par kavitaye
आज के दिन इस दुनिया में, फिर बंदूक चलेगी
कहीं निकलेगी गोली इससे, और कहीं होली मनेगी।
कहीं पे बच्चे ले के घूमें, बंदुकनुमा पिचकारी
और देखो कहीं पे गूँजें, बच्चों की सिसकारी।
रंग वही है लाल सब जगह, मगर फर्क है इतना
एक रंग से नफरत फैले, दूजे में प्यार है कितना।
आओ मिला दें सब रंगों को, हर दिल में प्यार जगा दें
अगली होली से पहले, हम नफरत दूर भगा दें।
कहे ‘तरूण’ इस होली देखो, सुंदर प्यारा सपना
सबके दिल में प्यार बढे, सागर में पानी जितना।