how to write an essay on vidya sarva srestha dhan hai in hindi

इस संसार में विद्या चारों ओर बिखरी पड़ी है। बस आवश्यकता है कोई उस विद्या को पाने की। विद्या मनुष्य का विकास करती है। उसकी बौद्धिक क्षमता बढ़ाती है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। विद्या का विषय क्षेत्र विशाल है। इसे महासागर की भी संज्ञा नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह उससे भी विशाल है। विद्या मनुष्य के लिए ऐसे ही आवश्यक है जैसे एक रोगी के लिए दवा। जैसे दवा रोगी को स्वस्थ बनाती है और उसके जीवन को बचाती है, वैसे ही विद्या जीवन पथ पर मनुष्य का मार्गदर्शन करती है। विद्या की श्रेष्ठता शब्दों से व्यक्त नहीं कि जा सकती है। इसकी श्रेष्ठता यह स्वयं प्रमाणित करती है। समाज में आज जितने भी लोग शीर्ष पर विराजमान है, वह सब विद्या का प्रभाव है। विद्या जहाँ मनुष्य की सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है, वहीं वह मनुष्य के अंतर्मन की दृष्टि को भी प्रखर करती है। विद्या के प्रभाव से ही मनुष्य जो दिख रहा है, उसे सत्य नहीं मानता। अपितु उसके पीछे सत्य और परतों को देख वह एक नई राय बनाता है। यह गुण विद्या के माध्यम से ही बढ़ता है। एक अशिक्षित की सोच इतनी विकसित नहीं होती की वह इतनी गूढ़ दृष्टि का स्वामी हो। एक ज्ञानी को यह स्वतः ही मिल जाती है। उसका चिंतन-मनन उसके अंतर्मन दृष्टि को विकसित होने के लिए व्यापक क्षेत्र देता है। यह सब धनों से श्रेष्ठ धन है।

 

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