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मित्र हम आपको इस पाठ का सार दे रहे हैं। यह अवश्य आपकी सहायता करेगा।

पार नज़र के' पाठ में लेखक जयंत विष्णु नार्लीकर ने विज्ञान से संबंधी विषय पर कहानी प्रस्तुत की है। लेखक ने मंगल ग्रह में जीवन की कल्पना करते हुए, अंतरिक्षवासियों की कठिनाइयों को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। लेखक ने इतने जटिल विषय को बड़ी सरलता और रोचकता से प्रस्तुत किया है। कहानी में मंगल की समस्या पृथ्वी के समान ही है। इसे पृथ्वी के आने वाले भंयकर भविष्य की परिकल्पना माना जा सकता है। लेखक ने इस कहानी में पृथ्वी के स्थान पर मंगल को रखकर हमको सचेत करने का प्रयास किया है। यह कहानी बहुत रोचक है। छोटू इस कहानी का मुख्यपात्र है। वह अपने पिताजी का सिक्योरिटी-पास चोरी करके पिता के कार्यालय में प्रवेश पाने का प्रयास करता है। पकड़े जाने पर उसके पिता उसे छुड़ा लेते हैं। लेकिन वह उसे उसकी गलती के बारे में बताते हैं और भविष्य में वह दुबारा इस तरह की गलती नहीं दोहराए, उसे सारी स्थिति से अवगत कराते हैं। इस कहानी को पढ़ते समय जिज्ञासा उत्पन्न होती है। नासा द्वारा यहाँ आना, मंगलवासियों के द्वारा घबरा जाना इत्यादि रोचक घटनाएँ पढ़ने में मज़ेदार लगती है। यह कहानी ज्ञान और मनोरंजन से भरपूर है।  
 

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