I cannot understand the kanccha chapter is what about????

मित्र, कंचा' पाठ में लेखक टी. पद्मनाभन ने बच्चों के बालमन की सहजता और कल्पना के रूपों का वर्णन किया है। अप्पू कंचों को लेकर बहुत उत्साहित है। कंचे उसे बहुत प्यारे हैं। पिताजी द्वारा फ़ीस के दिए गए पैसों से वह कंचे खरीद लेता है। वह इन कंचों से जॉर्ज को हराना चाहता है। कंचों को जार में देखकर वह अपनी कल्पना के संसार में चला जाता है। ऐसी स्थिति उसके समाने कई बार आती है। एक बार दुकानदार के पास और दूसरी बार कक्षा में पढ़ाते हुए। उसे बस कंचे ही कंचे नज़र आ रहे हैं। लेखक ने अपनी कहानी में बच्चों की कल्पना को बहुत अच्छा उतारा है। बच्चों को जीवन की वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं होता। वह अपनी दुनिया में रहते हैं। लेखक इस कहानी के माध्यम से उनके बालमन को दिखाने में सफल हुए हैं।

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