I didn't understand SHLESH alankar properly... and what at is the difference between YAMAK and SLESH alankar? 

श्लेष अंलकार समझने से पहले आपको श्लेष का अर्थ समझना होगा। श्लेष का अर्थ है चिपकना। इसका आधार पर हम श्लेष अंलकार की परिभाषा समझते हैं कि जब एक ही शब्द से अनेक अर्थ चिपके हुए हों या निकलते हों, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।

श्लेष अंलकार को सर्वप्रसिद्ध उदाहरण है-

मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय।

जा तन की झाँई परै स्याम हरित दुति होय।।

इस वाक्य में हरित शब्द के अनेक अर्थ चिपके हुए हैं-हर लेना, हर्षित और हरा रंग।

यमक अलंकार में एक ही एक से अधिक बार आए परन्तु हर बार उसके अर्थ भिन्न-भिन्न हो उसे यमक अलंकार कहते हैं-

तीन बेर खाती थी,

वह तीन बेर खाती थी।

इन पंक्तियों में एक बेर का अर्थ बेर नामक फल है और एक बेर का अर्थ बार है।

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