I didn't understand the three beds of Sangya.

Can anyone explain me?

नमस्कार मित्र!

लिंग-
निर्जीव वस्तुओं का लिंग निर्धारण भाषा के बोलने की परंपरा व व्याकरण के अनुसार किया जाता है। आपने कई बार देखा होगा कि हम जब बोलना आरंभ करते हैं, तो तब हमें नहीं पता होता है कि कौन-सी वस्तु स्त्रीलिंग है व कौन-सी पुल्लिंग। हमने अपने से बड़ों को यही बोलते हुए सुना होता है। अत: हम भी उसी प्रकार बोलने लगते हैं। इसे भाषा के बोलने की परंपरा कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर किसी भाषा में उस भाषा से संबंधित नियम होते हैं,  जो व्याकरण के रुप में होते हैं। व्याकरण हमें बताता है कि किस तरह, किसे, क्या व क्यों बोलना चाहिए।
 
अब जैसे पहाड़ों के नाम हैं प्राय: आपने ध्यान दिया होगा कि वे निर्जीव होते हैं। इनकी विशालता के कारण इन्हें पुरूष माना गया है। आप कहीं भी चले जाएँ एक-दो स्थानों को छोड़कर पहाड़ों के नाम पुल्लिंग ही होते हैं। भारत में नदियों को स्त्री के रूप में देखा जाता है। अत: इनके नाम स्त्रीलिंग होते हैं। इसके साथ जिन शब्दों के अंत में आवट, इया, आहट, नी, ता, इया, इमा, ई, आस, त, री आदि लगे होते हैं, वे शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- सजावट, लुटिया, गरमाहट, छलनी, सभ्यता, कालिमा, खिड़की, प्यास, ताकत, गठरी। इसके अलावा संस्कृत के आकारांत शब्द सभा, हिंसा, उकारांत शब्द मृत्यु व धातु व इकारांत शब्द अग्नि आदि स्त्रीलिंग शब्द होते हैं। कुछ शब्दों का हम लिंग परिवर्तन करते हैं। जैसे जूता का जूती, राजा का रानी आदि। यह ध्यान रखने वाली बात है कि पुल्लिंग शब्दों से ही स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण होता है। यह नियम फिर सजीव वस्तु के लिए हो या निर्जीव वस्तु के लिए एक ही होता है। ऊपर दिए प्रत्यय वही हैं परन्तु इनसे भी निर्जीव वस्तुओं का लिंग पहचाना जाता है व उन्हें स्त्रीलिंग में भी बदला जाता है। उदाहरण के लिए लोटा का लुटिया, गरम का गरमाहट, सजा का सजावट इत्यादि। इसके लिए अभ्यास की जरूरत होती है। यदि आप इन बातों को ध्यान में रखेंगे, तो आपको कभी लिंग पहचानने में कठिनाई नहीं आएगी।

कारक-
कारक क्या होता है? इससे पहले, आपको यह समझना होगा कि कारक का क्या काम होता है? साधारण शब्दों में कहें तो कारक का काम वाक्य में प्रयोग होने वाले क्रिया शब्दों, संज्ञा शब्दों व सर्वनाम शब्दों को आपस में जोड़ कर संबंध स्थापित करना होता है; जैसे-
(1) मेरे पेट में दर्द हो रहा है।
इस वाक्य में देखिए 'मेरे' सर्वनाम शब्द है, 'पेट' और 'दर्द' संज्ञा शब्द है और 'हो रहा है' क्रिया शब्द है। यदि हम वाक्य इस तरह लिखते हैं 'मेरे पेट दर्द हो रहा है' तो यह वाक्य अटपटा लगेगा। 'में' कारक शब्द है और यह पूरे वाक्य में 'मेरे' (सर्वनाम) व 'पेट' (संज्ञा) और 'दर्द' (संज्ञा) शब्दों को आपस में जोड़कर कर संबंध स्थापित कर इस अटपटेपन को समाप्त कर रहा है। अत: आपको समझ आ गया होगा कि कारक क्या होता है और इसका क्या काम होता है।
का, के, को, की में, से, ने, रा, रे, री,  पर, हे, अरे सारे कारक-चिह्न हैं। कारक आठ प्रकार के होते हैं-१. कर्म कारक, कर्ता कारक, करण कारक, संपद्रान कारक, अपादान कारक, संबंध कारक, अधिकरण कारक, संबोधन कारक।

वचन-
किसी के नाम से या अन्य किसी से किसी वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ से पता चलता है कि वह एक है या अनेक, उसे वचन कहते हैं।
वचन दो प्रकार के होते हैं- एकवचन और बहुवचन
एकवचन- एकवचन से एक शब्द के होने का पता चलता है और बहुवचन से अनेक होने का पता चलता है।

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Dhanyavad ma,am!

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