I HAVE MANY DOUBTS IN THIS LESSON AND NEED short summary
नमस्कार मित्र!
आपको किस तरह की शंका या समस्याएँ आ रही हैं, ये आप हमें विस्तारपूर्वक बताइए। हम प्रयास करेंगे कि आपकी शंकाओं और समस्याओं का हल निकाला जा सके। पाठ का सारांश आपको भेज रहे हैं। हो सकता है, इसको पढ़ने के बाद आपकीकई शंकाओं का हल मिल जाए-
'अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले' पाठ के माध्यम से लेखक निदा फ़ाज़ली ने अन्य प्राणियों के प्रति मनुष्य द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार का उल्लेख किया है। मनुष्य के पास पृथ्वी जैसा सुंदर निवास-स्थान है। वह यहाँ सुखपूर्वक रह रहा है। उसके साथ अन्य बहुत से जीव-जन्तु और पशु-पक्षी भी हैं, जो इस पृथ्वी में निवास करते हैं। परन्तु मनुष्य ने अपने स्वार्थ में अंधे होकर इनके जीवन को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस पाठ में उन्होंने ऐसी महान विभूतियों का वर्णन किया है, जिन्होंने अपने साथ सभी प्राणियों के हितों के लिए कार्य किए हैं। इस पाठ का निचोड़ यही है कि आज की दुनिया में ऐसे लोगों की कमी हो रही है, जो दूसरों को तकलीफ में देखकर स्वयं परेशान होते हैं। ऐसे मनुष्य कोशिश करते हैं कि उनके कारण कोई भी मनुष्य, जीव-जन्तु या प्राणी तकलीफ न पाए। लेखक ने समाप्त हो रहे इंसानियत के गुण की ओर सबका ध्यान दिलाने का प्रयास किया है। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य का ही नहीं अपितु जीव-जन्तुओं व प्राणियों का भी अहित कर रहा है। जबकि वह इस सत्य को जानता है कि यह पृथ्वी उसकी अकेले की नहीं है। उसकी यही कोशिश है कि मनुष्य अपनी मनुष्यता न भूलकर सबका कल्याण करें।