बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया, जिस दिन उनका बीटा मारा।  इकलौता बेटा था वह! कुछ सुस्त और बोदा-सा था, किंतु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज्यादा नजर रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध से उसकी शादी कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबंधिका बनकर भगत को बहुत कुछ दुनियादारी से निवृत कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुर्सत! किंतु मोंत तो अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है। हमने सुना, बालगोबिन भगत का बेटा मर गया। कुतूहलवश उनके घर गया। देखकर दंग रह
गया। बेटे को ऑगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफ़ेद कपड़े से ढाँक रखा है। वह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपते रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं ; फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है। और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं! वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। घर में पतोहू रो रही है जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नज़दीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कोन बात? में कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

(i) भगत जी की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष कब देखा गया ? लेखक ने `चरम-उत्कर्ष` क्यों कहा।
(ii) बालगोबिन भगत अपने पुत्र का बहुत अधिक ध्यान क्यों रखते थे ?
(iii) भगत जी ने पुत्र की मृत्यु पर पुत्रवधु को रोने के स्थान पर उत्सव मनाने के लिए क्यों कहा?

बालगोबिन भगत अपने पुञ का बहुत अधिक ध्यान कयो रखते थे
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भगत जी की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष कब देखा गया ? लेखक ने `चरम-उत्कर्ष` क्यों कहा।
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