I NEED A LONG ESSAY ON THE TOPIC"MERA SAPNO KA BHARAT AUR ISME YUVAO KI BHUMIKA"
पिछले चार वर्षों के दौरान मैंने भारत के लगभग सभी भागों का भ्रमण किया है और जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित लोगों के संपर्क में आया हूँ; जैसे छात्र, युवा, किसान, वैज्ञानिक इंजीनियर, तकनीशियन, चिकित्सक, चिकित्सा कर्मचारी, शिक्षाविद्, उद्योगपति, सशस्त्र सैन्य कर्मी, अध्यापिका नेता, राजनेता, प्रशासक, अर्थाशस्त्री, कलाकार खिलाड़ी, शारीरिक तथा मानसिक रूप से विकलांग एवं ग्रामीण जनता। भारतीय जनता के विभिन्न वर्गों के संपर्क में आकर मैंने बहुत कुछ सीखा है।
स्कूली बच्चों तथा युवाओं ने मेरे वेबसाइट के माध्यम से भी मुझे संपर्क किया। उन्होंने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने तथा इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका के बारे में कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए। मैं बच्चों तथा युवाओं से प्राप्त कई सुझावों में से कुछ का उल्लेख करना चाहता हूँ।
मेघालय के एक छात्र ने कहा, ‘मुझे शिक्षण कार्य पसन्द है, क्योंकि इससे बच्चों को हमारे देश के अच्छे एवं श्रेष्ठ नागरिकों के रूप में आकार दिया जा सकता है। इसीलिए मैं एक शिक्षक या अपने देश की रक्षा के लिए सैनिक बनना चाहता हूँ।’ पांडिचेरी की अन्य बालिका ने कहा, ‘एक धागे में कई फूल पिरोकर ही माला बनाई जा सकती है। इसलिए मैं विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए अपने देशवासियों को देश से प्यार करने तथा मन की एकता के लिए कार्य करने को प्रेरित करूँगी।’ गोवा के एक बालक ने कहा, ‘मैं एक इलेक्ट्रॉन बन जाऊँगा और ऑरबिट में स्थित इलेक्ट्रॉन की तरह अपने देश के लिए अनवरत कार्य करता रहूँगा।’
अटलांटा में रहनेवाले भारतीय मूल के एक छात्र ने जवाब दिया, ‘जब भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की क्षमता रखेगा, तभी मैं भारत का गीत गाऊँगा और मैं इसके लिए प्रयास करूँगा।’ उस छात्र का अर्थ था कि भारत को आर्थिक संपन्नता के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा तथा राजनीतिक इच्छा-शक्ति के साथ एक विकसित देश बनाना चाहिए।
युवा मस्तिष्कों के कितने उच्च विचार हैं ! ये केवल कुछ उदाहरण हैं। युवा तेजस्वी मनों की देश को महान् बनाने की अभिलाषाएँ स्पष्ट हैं। यह जानना महत्त्वपूर्ण हैं कि भारत में ऐसे सत्तर करोड़ युवा मस्तिष्क हैं। यह एक विशाल शक्ति है जिसे रचनात्मक रूप से भारत को एक विकसित देश बनाने के एकमात्र लक्ष्य की ओर उन्मुख किए जाने की आवश्यकता है। युवाओं की तरह भारत का प्रत्येक नागरिक एक खुशहाल, संपन्न, शांतिपूर्ण तथा सुरक्षित भारत में रहना चाहेगा।
मैंने मरुस्थलों, पहाड़ों, समुद्र-तटों, वनों तथा मैदानों में अपने देश का सौंदर्य देखा है। भारत में एक समृद्ध सभ्यता, विरासत, संसाधन व प्रतिभाशाली कार्यशक्ति है, और सबसे ऊपर एक ज्ञानी समाज के उद्भव के कारण अंतर्निहित शक्ति है। अब भी हमारी जनसंख्या का 26 प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे है और अशिक्षा तथा बड़े पैमाने पर बेरोजगारी कायम है। इन समस्याओं के समाधान की अनिवर्यता के साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ाना जरूरी है। संसाधनों तथा मानव-शक्ति के प्रभावी प्रबंधन द्वारा यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में हमारे प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत वर्ष 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। दसवीं पंचवर्षीय योजना भी 8 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर तथा 10 करोड़ के रोजगार अवसरों पर केंन्द्रित है।
हाल के वर्षों में, जीवन-स्तर को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रौद्योगिकी एक ऐसा इंजन है, जिसमें देश को विकास तथा संपन्नता की ओर ले जाने और राष्ट्रों के समूह में उसे आवश्यक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ उपलब्ध कराने की क्षमता है।
इस प्रकार, भारत को एक विकसित देश में बदलने में प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
श्री वाई.एस. राजन के साथ वर्ष 1998 में लिखी गई अपनी पुस्तक ‘भारत 2020 नवनिर्माण की रूपरेखा’ में हमने पाँच सौ विशेषज्ञों की मदद से विकसित टी आई.एफ.ए.सी. के प्रौद्योगिकी विज्ञान 2020 पर चर्चा की थी। पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय विकास और प्रौद्योगिकीय क्रांतियाँ हुई हैं।
अब समाज के सभी वर्गों, विशेषकर युवाओं तथा बच्चों, में एक विकसित भारत में रहने तथा उसके लिए कार्य करने की भावना उत्पन्न हुई है। यहाँ तक कि विदेशों में रह रहे भारतीय परिवारों ने भी भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य में हिस्सा लेने की इच्छा अभिव्यक्त की है। इसी कारण इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता महसूस हुई। इस पुस्तक में समाज पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव तथा वर्ष 2020 तक एक विकसित भारत के लक्ष्य के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई है।
जब हम भारत में रॉकेट, प्रक्षेपण यान, मिसाइल प्रणालियाँ तथा संबंधित प्रौद्योगिकियाँ विकसित कर रहे थे तो कई कारणों से विकसित विश्व ने हमें प्रौद्योगिकी प्रदान करने से इनकार कर दिया। इसने युवा मस्तिष्कों को चुनौती देने का काम किया। प्रौद्योगिकी न मिलने पर प्रौद्योगिकी प्राप्त की जाती है।
आज भारत के पास प्रक्षेपण यानों, मिसाइलों तथा वायुयानों के सिस्टम डिजाइन, सिस्टम इंजीनियरिंग, सिस्टम इंटीग्रेशन तथा सिस्टम मैनेजमेंट की योग्यता और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास की क्षमता है।
स्कूल एवं कॉलेज विद्यार्थियों को दिए गए भाषणों तथा वर्त्ताओं में युवाओं की भागीदारी विलक्षण तथा विचारोत्तेजक रही है। भारत के युवाओं के साथ इन विचार-विमर्शों ने ही हमें भारत को विकसित देश बनाने के स्वप्न तथा अपने अनुभवों को बाँटने के लिए प्रेरित किया।
भारत के पास प्रयोजन-लक्षित कार्यक्रमों के प्रबंधन के कई सफल अनुभव रहे हैं। हम प्रौद्योगिकी के महत्त्व तथा नीतियों के निर्माण और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में उसकी भूमिका को मान्यता देते हैं। आज समय में अनुकूल एक उपयुक्त वातावरण के निर्माण तथा भारत को ऐसे विद्वत्तापूर्ण समाज में रूपांतरित करने की आवश्यकता है। संसाधनों तथा युवाओं की क्षमता के सदुपयोग के लिए रचनात्मक नेतृत्व अनिवार्य है।
भारत को ऐसे विकसित राष्ट्र बनाने के समान लक्ष्य की ओर एक अरब लोगों के विचारों तथा कार्यों को समन्वित करना वास्तव में आज की आवश्यकता है।
स्कूली बच्चों तथा युवाओं ने मेरे वेबसाइट के माध्यम से भी मुझे संपर्क किया। उन्होंने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने तथा इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका के बारे में कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए। मैं बच्चों तथा युवाओं से प्राप्त कई सुझावों में से कुछ का उल्लेख करना चाहता हूँ।
मेघालय के एक छात्र ने कहा, ‘मुझे शिक्षण कार्य पसन्द है, क्योंकि इससे बच्चों को हमारे देश के अच्छे एवं श्रेष्ठ नागरिकों के रूप में आकार दिया जा सकता है। इसीलिए मैं एक शिक्षक या अपने देश की रक्षा के लिए सैनिक बनना चाहता हूँ।’ पांडिचेरी की अन्य बालिका ने कहा, ‘एक धागे में कई फूल पिरोकर ही माला बनाई जा सकती है। इसलिए मैं विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए अपने देशवासियों को देश से प्यार करने तथा मन की एकता के लिए कार्य करने को प्रेरित करूँगी।’ गोवा के एक बालक ने कहा, ‘मैं एक इलेक्ट्रॉन बन जाऊँगा और ऑरबिट में स्थित इलेक्ट्रॉन की तरह अपने देश के लिए अनवरत कार्य करता रहूँगा।’
अटलांटा में रहनेवाले भारतीय मूल के एक छात्र ने जवाब दिया, ‘जब भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की क्षमता रखेगा, तभी मैं भारत का गीत गाऊँगा और मैं इसके लिए प्रयास करूँगा।’ उस छात्र का अर्थ था कि भारत को आर्थिक संपन्नता के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा तथा राजनीतिक इच्छा-शक्ति के साथ एक विकसित देश बनाना चाहिए।
युवा मस्तिष्कों के कितने उच्च विचार हैं ! ये केवल कुछ उदाहरण हैं। युवा तेजस्वी मनों की देश को महान् बनाने की अभिलाषाएँ स्पष्ट हैं। यह जानना महत्त्वपूर्ण हैं कि भारत में ऐसे सत्तर करोड़ युवा मस्तिष्क हैं। यह एक विशाल शक्ति है जिसे रचनात्मक रूप से भारत को एक विकसित देश बनाने के एकमात्र लक्ष्य की ओर उन्मुख किए जाने की आवश्यकता है। युवाओं की तरह भारत का प्रत्येक नागरिक एक खुशहाल, संपन्न, शांतिपूर्ण तथा सुरक्षित भारत में रहना चाहेगा।
मैंने मरुस्थलों, पहाड़ों, समुद्र-तटों, वनों तथा मैदानों में अपने देश का सौंदर्य देखा है। भारत में एक समृद्ध सभ्यता, विरासत, संसाधन व प्रतिभाशाली कार्यशक्ति है, और सबसे ऊपर एक ज्ञानी समाज के उद्भव के कारण अंतर्निहित शक्ति है। अब भी हमारी जनसंख्या का 26 प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे है और अशिक्षा तथा बड़े पैमाने पर बेरोजगारी कायम है। इन समस्याओं के समाधान की अनिवर्यता के साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ाना जरूरी है। संसाधनों तथा मानव-शक्ति के प्रभावी प्रबंधन द्वारा यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में हमारे प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत वर्ष 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। दसवीं पंचवर्षीय योजना भी 8 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर तथा 10 करोड़ के रोजगार अवसरों पर केंन्द्रित है।
हाल के वर्षों में, जीवन-स्तर को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रौद्योगिकी एक ऐसा इंजन है, जिसमें देश को विकास तथा संपन्नता की ओर ले जाने और राष्ट्रों के समूह में उसे आवश्यक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ उपलब्ध कराने की क्षमता है।
इस प्रकार, भारत को एक विकसित देश में बदलने में प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
श्री वाई.एस. राजन के साथ वर्ष 1998 में लिखी गई अपनी पुस्तक ‘भारत 2020 नवनिर्माण की रूपरेखा’ में हमने पाँच सौ विशेषज्ञों की मदद से विकसित टी आई.एफ.ए.सी. के प्रौद्योगिकी विज्ञान 2020 पर चर्चा की थी। पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय विकास और प्रौद्योगिकीय क्रांतियाँ हुई हैं।
अब समाज के सभी वर्गों, विशेषकर युवाओं तथा बच्चों, में एक विकसित भारत में रहने तथा उसके लिए कार्य करने की भावना उत्पन्न हुई है। यहाँ तक कि विदेशों में रह रहे भारतीय परिवारों ने भी भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य में हिस्सा लेने की इच्छा अभिव्यक्त की है। इसी कारण इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता महसूस हुई। इस पुस्तक में समाज पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव तथा वर्ष 2020 तक एक विकसित भारत के लक्ष्य के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई है।
जब हम भारत में रॉकेट, प्रक्षेपण यान, मिसाइल प्रणालियाँ तथा संबंधित प्रौद्योगिकियाँ विकसित कर रहे थे तो कई कारणों से विकसित विश्व ने हमें प्रौद्योगिकी प्रदान करने से इनकार कर दिया। इसने युवा मस्तिष्कों को चुनौती देने का काम किया। प्रौद्योगिकी न मिलने पर प्रौद्योगिकी प्राप्त की जाती है।
आज भारत के पास प्रक्षेपण यानों, मिसाइलों तथा वायुयानों के सिस्टम डिजाइन, सिस्टम इंजीनियरिंग, सिस्टम इंटीग्रेशन तथा सिस्टम मैनेजमेंट की योग्यता और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास की क्षमता है।
स्कूल एवं कॉलेज विद्यार्थियों को दिए गए भाषणों तथा वर्त्ताओं में युवाओं की भागीदारी विलक्षण तथा विचारोत्तेजक रही है। भारत के युवाओं के साथ इन विचार-विमर्शों ने ही हमें भारत को विकसित देश बनाने के स्वप्न तथा अपने अनुभवों को बाँटने के लिए प्रेरित किया।
भारत के पास प्रयोजन-लक्षित कार्यक्रमों के प्रबंधन के कई सफल अनुभव रहे हैं। हम प्रौद्योगिकी के महत्त्व तथा नीतियों के निर्माण और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में उसकी भूमिका को मान्यता देते हैं। आज समय में अनुकूल एक उपयुक्त वातावरण के निर्माण तथा भारत को ऐसे विद्वत्तापूर्ण समाज में रूपांतरित करने की आवश्यकता है। संसाधनों तथा युवाओं की क्षमता के सदुपयोग के लिए रचनात्मक नेतृत्व अनिवार्य है।
भारत को ऐसे विकसित राष्ट्र बनाने के समान लक्ष्य की ओर एक अरब लोगों के विचारों तथा कार्यों को समन्वित करना वास्तव में आज की आवश्यकता है।