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प्रिय छात्र
कुहासा अक्सर वर्षा ऋतु के बाद छाया रहता है। कुहासे से मानव और प्रकृति दोनों को नुकसान होता है। कुहासे के समय वायुमंडल में पानी की सूक्ष्म बूंदे तैैरती रहती हैं। इस समय दृश्यता कोहरे सेेेे अधिक होता है। कुहासे से फसलों, पेड़-पौधोंं को बहुत नुकसान पहुंचता है। कुहासे का फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुहासा प्राकृतिक रूप से इनके विकास में बाधक होता है। कुहासे से मौसम के तापमान में गिरावट देखने को मिलती है। मानव भी कुहासेेे से प्रभावित होता है। एक सीमा के बाद कुछ दिखाई नहींं देता है।
धन्यवाद।
कुहासा अक्सर वर्षा ऋतु के बाद छाया रहता है। कुहासे से मानव और प्रकृति दोनों को नुकसान होता है। कुहासे के समय वायुमंडल में पानी की सूक्ष्म बूंदे तैैरती रहती हैं। इस समय दृश्यता कोहरे सेेेे अधिक होता है। कुहासे से फसलों, पेड़-पौधोंं को बहुत नुकसान पहुंचता है। कुहासे का फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुहासा प्राकृतिक रूप से इनके विकास में बाधक होता है। कुहासे से मौसम के तापमान में गिरावट देखने को मिलती है। मानव भी कुहासेेे से प्रभावित होता है। एक सीमा के बाद कुछ दिखाई नहींं देता है।
धन्यवाद।