i need the saransh of parvath pradesh mey paavas and thop asap....reaaly urgent....thumbs up for quick answers  pls answer fast

नमस्कार मित्र!
 
'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित है। यह कविता पर्वतीय प्रदेश की सुंदरता को प्रकट करती है। पंत जी ने अपनी कविताओं में प्रकृति का जो सुंदर वर्णन किया है, वह बहुत कम कवियों की कविताओं में देखने को मिलता है। इस कविता को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है मानो हम अपनी आँखों से ही पर्वतीय प्रदेश के सौन्दर्य को निहार रहे हैं। जिसने कभी पर्वतीय प्रदेश की यात्रा नहीं की है, वह इनकी कविताओं के माध्यम से सौन्दर्य की अनुभूति ले सकता है। इस कविता में पंत जी ने पर्वतीय प्रदेश का वर्णन करते हुए कहा है कि यहाँ का सौन्दर्य अनुपम है। प्रकृति पल-पल अपना स्वरूप बदल रही है। खड़े पहाड़, उनके नीचे बना जलाशय, चीड़ के खड़े पेड़, पहाड़ों पर से निकलते झरने, आकाश में छाए बादल आदि विभिन्न रूपों में प्रकृति अपनी लीलाएँ दिखा रही है। इन्हें देखकर लगता नहीं है कि यह निर्जीव कहे जाते हैं। इनका व्यवहार मानवों के समान ही प्रतीत हो रहा है। इस सौन्दर्य को देखकर सभी चकित रह जाते हैं। कवि प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए पूरा न्याय करते हैं और पढ़ने वालों को बांधे रखते हैं।  
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

  • 1
  • 1

 tnx

  • 0
What are you looking for?