I not understand Q.7 to Q.11 
Please tell me about it experts! 
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7. 'रैदास के पद' के पाठ का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
11. रैदास के दोनों पद सस्वर गायन हेतु कंठस्थ करें।

7. 'रैदास' द्वारा रचित पद हैं। इन पदों में रैदास ने मनुष्य को ईश्वर व उसकी सत्ता पर विश्वास करने के  लिए प्रेरित किया है। इन्होंने कबीरदास जी की तरह मूर्तिपूजा, हवन, तीर्थ आदि आडंबरों का विरोध किया है। पहले पद में रैदास जी अपने आराध्य देव का स्मरण करते हैं। वह विभिन्न उपमानों द्वारा उनसे अपनी तुलना करते हैं। वह स्वयं को प्रभु के साथ के बिना अधूरा मानते हैं। रैदास जी के अनुसार प्रभु उनके साथ ऐसे ही रचे-बसे हैं, जैसे दीये के संग बाती इत्यादि होते हैं। दूसरे पद में रैदास जी अपने आराध्य देव की कृपा, प्रेम और उदारता के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। उनके अनुसार ये सब उनके भगवान के द्वारा ही किया जा सकता है। भगवान ने ही उनके जैसे व्यक्ति को राजाओं जैसा सुख दे दिया है। उनके अनुसार भगवान सबको समान रूप से देखते हैं। तभी तो उनके जैसे नीच कुल के व्यक्ति को उन्होंने अपने प्रेम से भर दिया है और अपने चरणों में स्थान दिया है।

11. यह आपको याद करने के लिए कहा गया है। इसमें हम आपकी सहायता नहीं कर  पाएंगे। इसे आपको स्वयं ही याद करना पड़ेगा।

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