i want 5 poems on save water in hindi till tommorow , please !!!!!

मित्र हमारे दोनों मित्रों ने अच्छी कविताएँ दी है। आप इससे सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

  • 0
1st Poem-
उसको बचा के रखिये
बर्बाद मत कीजिये
इसे जीने का सलीका सीखिए
पानी को तरसते हैं
धरती पे काफी लोग
यहाँ पानी ही तो दौलत है
पानी सा धन भला
कहां पानी की है मात्रा
सीमित पीने का पानी
और सीमित तो पानी को बचाइए
इसी में है समृधी
निहित शेविंग या कार की धुलाई
या जब करते हो स्नान
पानी की जरूर बचत करें
पानी से है धरती महान


2nd Poems-
जल ही तो जीवन है
पानी है गुनों की खान
पानी ही तो सब कुछ है
पानी है धरती की शान
पर्यावरण को न बचाया गया
तो वो दिन जल्दी ही आएगा
जब धरती पे हर इंसान
बस पानी पानी चिल्लाएगा
रुपये पैसे धन दौलत
कुछ भी काम न आएगा
यदि इंसान इसी तरह धरती को
नोच के खाएगा आने वाली
पुश्तों का कुछ तो हम करें ख़्याल
पानी के बगैर भविष्य भला
कैसे होगा खुशहाल
बच्चे, बूढे और जवान पानी बचाएँ
बने महान अब तो जाग जाओ
इंसान पानी में बसते हैं प्राण

3rd Poem-अमृत की
एक बूँद से
अमरता मिल जाती हैस्वाति नक्षत्र
की एक बूँद से
सीप ,मोती बन जाती हैएक
औस की बूँद
कर देती है स्वच्छ सुमनएक ही
बूँद दे देती है नव जीवन

एक बूँद का नष्ट होकर भी
नही मिटता अस्तित्व

समाती है
बादल मे धुआँ बनकर
एक-एक बूँद मिलकर
बरसती है वर्षा बनकरफिर से वही क्रम दोहराना
आना और फिर नष्ट हो जानाभरती खुशियो से हर आँचल
धरा को देती हरियाला तलदेना ही जिसका स्वभाव
नही उस पर कोई प्रभावबस निष्काम भाव से होना समर्पित
परहित मे कर देना स्वयम को अर्पितयह वही बूँद है ,हर बन्धन को
तोडने की ,शक्ति है जिसमे
भले ही नन्ही सी है,पर नही
उस जैसा कोई महाननही समझते यह सब बाते
लोग अनजानकि बूँद से ही तो पलता है जीवन
और खिलता है पानी तो अनमोल है मन
4th poem-
पानी पानीदार बहुत है,
पानी को पहचानो।
पानी से खेती लहराती।
धरती हरी-भरी हो जाती।
पंचतत्व में सबसे बढ़ कर,
तुम पानी को मानो।
पानी .................
पानी सबकी प्यास बुझाता।
जीव-जगत का जीवन दाता।
जब तक पानी है धरती पर,
तब तक जीवन जानो।
पानी ..............
पानी की बरबादी रोको।
इसके लिए सभी को टोको।
बचत करोगे बूँद-बूँद की,
अपने मन में ठानो।
पानी ................
पानी पानीदार बहुत है।
पानी को पहचानो।

5th Poem-
उसने पीने के लिये
माँगा था पानी,
ताकि रह सके ज़िन्दा..
बुझा सके प्यास..
पर उसे मिली मौत
महज ग्यारह बरस का
था वो..बच्चा...

जहाँ एक ओर
अकेले भारत में
बन जाती है
दस हजार करोड़ की
इंडस्ट्री..
मिनरल वॉटर के नाम पर
वहीं पीने के पानी
की एक बूँद
को तरस जाता है
आधे से ज्यादा देश...

जमीन के अंदर समाये हुए
पानी की एक एक बूँद
को हम..
निचोड़ लेना चाहते हैं..
गटक लेना चाहते हैं
पूरी की पूरी नदी...
ताकि सूख जाये वह
समन्दर तक पहुँचने से पहले ही...

वो जमाना और था
जब भरता था घड़ा
बूँद बूँद...
अब बिस्लेरी का जमाना है
और बिकती है प्यास...
महज पन्द्रह रूपये लीटर...
सेवा के वे "रामा प्याऊ"
कहीं खो गये हैं शायद...
गुमनामी के गटर में
जिसका पानी पीती है
वो दुनिया
जहाँ आज भी भरा जाता है घड़ा...
बूँद.. बूँद...

  • 0

पानी तो अनमोल है
उसको बचा के रखिये
बर्बाद मत कीजिये इसे
जीने का सलीका सीखिए

पानी को तरसते हैं
धरती पे काफी लोग यहाँ
पानी ही तो दौलत है
पानी सा धन भला कहां

पानी की है मात्रा सीमित
पीने का पानी और सीमित
तो पानी को बचाइए
इसी में है समृधी निहित

शेविंग या कार की धुलाई या जब करते हो स्नान पानी की जरूर बचत करें पानी से है धरती महानजल ही तो जीवन है

पानी है गुनों की खान
पानी ही तो सब कुछ है
पानी है धरती की शान

पर्यावरण को न बचाया गया
तो वो दिन जल्दी ही आएगा
जब धरती पे हर इंसान
बस पानी पानी चिल्लाएगा

रुपये पैसे धन दौलत
कुछ भी काम न आएगा
यदि इंसान इसी तरह
धरती को नोच के खाएगा

आने वालीकुछ तो हम करें ख़्याल

पानी के बगैर भविष्य
भला कैसे होगा खुशहाल

बच्चे, बूढे और जवान
पानी बचाएँ बने महान
अब तो जाग जाओ इंसान
पानी में बसते हैं प्राण

  • 1
What are you looking for?