i want a essay on siksha ratant vidya nahi hai......

till tommorow plz send me!!!!!

नमस्कार मित्र!
शिक्षा रतन विद्या नहीं
 
शिक्षा मनुष्य का जीवन संवारने का कार्य करती है। युवकों का मस्तिष्क नई-नई बातों की ओर बहुत तेजी से दौड़ता है। उसमें शक्ति और आवेश भी अन्य अवस्थाओं के लोगों से बहुत ज़्यादा होता है। इस अवस्था में अगर सही शिक्षा और मार्गदर्शन न मिले तो यही शक्ति व आवेश निमार्ण के बजाय विनाश की ओर चल पड़ता है। बिगड़ने और बनने की यही कच्ची उम्र होती है। दुर्भाग्य से हमारे देश में शिक्षा-पद्धति केवल उपाधि बाँटने का काम ही करती है, एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व वाला मनुष्य नहीं बनाती। उसके अंदर मनुष्यता के गुणों का विकास नहीं होता है। इससे उसके अंदर ईर्ष्या, द्वेष की भावना बढ़ती है। वह सबसे आगे निकलने की होड़ करता रहता है। यह विद्यार्थी के विकास के लिए उचित नहीं है।
शिक्षा का कार्य है मनुष्य में मानवता, प्रेम, प्यार और सद्भावना को उत्पन्न करना। परन्तु यदि यही रतन जीवन को विष के समान बना दे, तो ऐसी विद्या का न होना ही व्यर्थ है। दूसरे यदि हम यह कहें क्या शिक्षा ही विद्या है?, तो यह बात सही नहीं है। विद्या वह कहलाती है जिसके माध्यम से मनुष्य कुछ सीखता है और उसमें सिद्धहस्त होकर कार्य करता है। विद्या बहुत तरह की हो सकती है। मात्र शिक्षा को विद्या कहलाना उचित नहीं होगा। विद्याएँ बहुत तरह की होती है जिनमें शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती है; जैसे गहने बनाना, बर्तन बनाना, फनीचर बनाना, वैद्य, व्यापार का कार्य इत्यादि। इसे हम अपने अनुभवों और बड़ों की देख-रेख में सीखते हैं।
वर्तमान समय में शिक्षा ज्ञान अर्जित करने के लिए नहीं बल्कि जीविका के अच्छे साधन तलाशने का निमित मात्र बनकर रह गई है परन्तु यह जरूरी नहीं कि वह अकेली ऐसी विद्या है, जिससे जीविका मिल सके।  
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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paragraph on shiksha ratant vidya nahi hai

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i want an essay on "shiksha ratant vidya nahi hai"....that  is..education is not about only learning and memorizing....it is not about memorizing it without understanding

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thank u mam....

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