i want a poem on bal sharm (child labour)

हमारे मित्र ने बहुत अच्छी कविता दी है। यह आपकी सहायता कर सकती है।

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आज जब छोटू को होटल में प्लेट धोते देखा 
अपने बचपन के उसी समय में झांक कर मैंने देखा

रोज नए चमचमाते बर्तनों में 
मिल जाता था मुझे मनचाहा खाना 
नहीं सोचा कभी भी
कैसे चमकते हैं ये बर्तन रोजाना

श्रम मेरे लिए होता था बस 
अपना स्कूल बैग स्कूल ले जाना 
और दोस्तों के साथ 
खेलते - खेलते थक जाना

कागज के नोट तब समझ में न आते थे
पिग्गी बैंक में बस सिक्के ही छनछ्नाते थे

मेहनत का फल होता है मीठा 
माँ ने मुझे सिखाया था 
पर मेहनत का मतलब बस 
पढ़ना ही तो बताया था

क्यों छोटू का बचपन, नहीं है बचपन जैसा 
काश! न होता इस दुनिया में कोई बच्चा ऐसा.  
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