I want arth of meerabai ke pad

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प्रथम पद में मीरा कृष्ण से कहती है कि आपने अपने सभी भक्तों की पीड़ा को समाप्त किया है। आपने द्रोपदी की भरी सभा में वस्त्र बढ़ाकर उसके मान-सम्मान की रक्षा की है। आपने भक्त प्रह्लाद के लिए नरसिंह का रूप धारण किया तथा उसके अत्याचारी पिता से उसकी रक्षा की। आपने दलदल में फंसे गजराज की सहायता कर उसकी रक्षा भी की थी। मैं आपकी दासी मीरा इस समय बहुत पीड़ा में हूँ। अतः आप मेरी भी रक्षा करो।

दूसरे पद में मीरा श्रीकृष्ण की सेवा करने और उनके नज़दीक रहने के उद्देश्य से उनकी सेविका बनकर साथ रखने का आग्रह करती हैं। उनके अनुसार वह कृष्ण की विभिन्न तरह से चाकरी करेगी। ऐसा करने पर उन्हें श्रीकृष्ण का साथ मिलेगा। वह उनके लिए बाग लगाएँगी तथा रोज़ प्रातःकाल उनके दर्शन का सुख पाऊँगी। इसके साथ ही वह कहती हैं कि मैं रोज़ वृंदावन की गलियों में आपका गुणगान करूँगी। आपकी चाकरी में मुझे दर्शन का सुख प्राप्त होगा, सुमरण रूपी खर्ची प्राप्त होगी, तथा भाव भक्ति रूपी जागीर मिलेगी। वह कहती हैं कि मेरे कृष्ण ने सर पर मोर मुकुट धारण किया हुआ है, पीतांबर वस्त्र पहना हुआ है तथा गले में वैजयन्ती माला है। वह वृन्दावन की गलियों में गाय चराने वाला तथा मुरली बजाने वाला है। वह अपने आराध्य को ऊँचे महल बनाकर उनमें रखेगी तथा कुसुंबी साड़ी पहनकर रोज उनके दर्शनों का लाभ पाएगी। मीरा कहती है कि आप मुझे आधी रात में जमुना जी के किनारे पर दर्शन देने की कृपा करें। मीरा का दिल प्रभु से मिलने को बहुत अधीर हो रहा है। वह अपने आराध्य से कहती हैं कि आप ही मेरे प्रभु गिरधर नागर हैं।

I hope that this will help u.......;)

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no not at all... write it in easy language................
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Hope it helps

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