i want hindi essay on nukkad natakiya

नुक्कड़ नाटक ऐसे नाटक कहलाते हैं, जो गली-गली में जाकर किए जा सकते हैं। भारत में आज़ादी के समय में ऐसे नाटकों का उल्लेख मिलता है। इस प्रकार के नाटक समाज में व्याप्त कुसंगति, विषमताओं को समाप्त करने तथा जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किए जाते थे। ये नाटक छोटे तथा प्रभावशाली हुआ करते थे। जहाँ ये मनोरंजन करते थे, वहीं यह लोगों को सचेत भी करते थे। रविंद्रनाथ टैगोर, भारतेन्दु हरिशचंद्र  जैसे लोगों द्वारा ऐसे नाटकों का मंचन किया जाता था। इन नाटकों का  प्रभाव आज भी देखा जाता है। कॉलेज के छात्र इन नाटकों के माध्यम से ज्वलंत समस्याएँ को अन्य छात्राओं के सामने रखने का प्रयास करते हैं। इसमें अत्यधिक साधनों की आवश्यकता नहीं होती है। बस चार-पाँच लोगों द्वारा यह नाटक सफलतापूर्वक किया जा सकता है। इसके लिए एक ढोलक तथा मंजीरा से कार्य चल जाता है। भारत में सफ़दर हाशमी आधुनिक नुक्कड़ नाटक के जनक कहे जाते हैं। इसके माध्यम से जनता से सीधा संपर्क बहुत सरलता से स्थापित किया जा सकता है। भारतीय जीवन शैली में नुक्कड़ नाटक हर गाँव तथा मौहल्ले की पहचान रह चूके हैं। इन्होंने ही भारत की जनता में आज़ादी का अलख जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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