i want kavya saundariya of all 3 savaiya and kavit

मित्र आप स्वयं इस पाठ का काव्य सौंदर्य देने का प्रयास कीजिए। इसके अंदर आपको लिखना है कि इसमें कौन-से अंलकारों का प्रयोग हुआ है, भाषा कौन सी है, इस काव्य की भाषा आपको कैसी लगती है जैसे- सरल, सरस, मधुर इत्यादि। मित्र इस तरह से यदि आप प्रयास करेंगे, तो किसी भी काव्य का सौंदर्य बता सकते हैं।

उदाहरण के लिए देखिए पहले सवैया में कटि किंकिनी, पट पीत तथा जै जग में अनुप्रास अंलकार है। मुखचंद्र में रूपक अंलकार विद्यमान है। भाषा सरल, सरल और मधुर है। काव्य की भाषा ब्रजभाषा है तथा यह सवैया छंद का उदाहरण है।

 

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