i want to know some suggestions on character dramatisation from this chapter?

नमस्कार मित्र!
इसका नाट्य रूपांतर के लिए आपको यह ध्यान में रखना है कि किस पात्र को कहाँ पर रखना है।
जैसे नाटक के आंरभ में आप कमरे के दृश्य के बारे थोड़ी-सी जानकारी दे सकते हैं।
उसके बाद अपना नाटक आरंभ कर सकते है, देखिए कैसे-
कमरे में बेगम साहिबा परेशान हालत में टहल रही थीं। सभी बच्चे मुँह बंध किए हुए खड़े थे। माहौल कुछ गरम था। नौकरों की तो मानो शामत आ गई थी। तभी मियाँ जी ने प्रवेश किया।
मियाँ साहब- (हैरान में) क्या बात है बेगम बड़ी गुस्से में दिखाई दे रही हैं आप?
बेगम साहिबा- (आँखें लाल करते हुए)- तुम तो चुप रहो। यह सब तुम्हारा किया धरा है। मैंने कितनी बार कहा, ''इन बच्चों को कुछ काम स्वयं करने दो'' , पर तुम पर तो अच्छे अब्बा बनने का भुत सवार था। लो अब बनो।
मियाँ साहब- (खिसियाते हुए)- अरे बेगम बच्चे तो हैं। ये शैतानी नहीं करेगें तो कौन करेगा।
बेगम साहिबा- (चिल्लाते हुए)- बच्चे शैतान के भी बाप हैं। पूरे दिन शैतानियाँ करते हैं और कुछ नहीं। कामचोर इतने हो गए हैं कि पानी भी हिल कर नहीं लेते। इनके मुँह के सामने रखा खाना तक नहीं उठाते।
 
इसे आप स्वयं इसी तरह आगे लिख सकते हैं। किताब में घटनाएँ और कहानियाँ तो हैं ही। उनको समझकर और कहानी के अनुसार स्वयं लिखो।
 
ढेरों शुभकामनाएँ! 

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