होली पर अनुच्छेद लिखें I
मित्र!
हमारे मित्रों ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
होली रंगों का पर्व है। होली का पर्व फाल्गुन मास में मनाया जाता है। इस पर्व में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी हंसी-खुशी और मौज मस्ती करते हैं। आपस की दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। लगभग पूरे भारत में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले होली जलाई जाती है। इसके पीछे भक्त प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकश्यप की एक कहानी है। पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को नहीं मानते थे किंतु उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के महान भक्त थे। अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान की पूजा करते देख हिरण्यकश्यप को बहुत क्रोध आता था। अनेकों बार मना करने के बावजूद जब प्रह्लाद नहीं माने और भगवान की पूजा करते रहे तब उनके पिता हिरण्यकश्यप ने उनको मारने की कोशिश की। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से अपने पुत्र प्रह्लाद को मारना चाहा।होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह कभी भी आग से नहीं जलेगी। वह प्रह्लाद को लेकर आग की चिता में बैठी किंतु भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। तभी से होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। वास्तव में होली हमें संदेश देती है कि हम बुराई छोड़कर अच्छाई की ओर ध्यान दें। होली में विशेषकर बच्चे बहुत प्रसन्न रहते हैं। बहुत खुश रहते हैं। नई-नई, रंग बिरंगी पिचकारियां और गुब्बारों के साथ वह इस पर्व को आनंद के साथ मनाते हैं।
हमारे मित्रों ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
होली रंगों का पर्व है। होली का पर्व फाल्गुन मास में मनाया जाता है। इस पर्व में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी हंसी-खुशी और मौज मस्ती करते हैं। आपस की दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। लगभग पूरे भारत में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले होली जलाई जाती है। इसके पीछे भक्त प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकश्यप की एक कहानी है। पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को नहीं मानते थे किंतु उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के महान भक्त थे। अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान की पूजा करते देख हिरण्यकश्यप को बहुत क्रोध आता था। अनेकों बार मना करने के बावजूद जब प्रह्लाद नहीं माने और भगवान की पूजा करते रहे तब उनके पिता हिरण्यकश्यप ने उनको मारने की कोशिश की। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से अपने पुत्र प्रह्लाद को मारना चाहा।होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह कभी भी आग से नहीं जलेगी। वह प्रह्लाद को लेकर आग की चिता में बैठी किंतु भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। तभी से होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। वास्तव में होली हमें संदेश देती है कि हम बुराई छोड़कर अच्छाई की ओर ध्यान दें। होली में विशेषकर बच्चे बहुत प्रसन्न रहते हैं। बहुत खुश रहते हैं। नई-नई, रंग बिरंगी पिचकारियां और गुब्बारों के साथ वह इस पर्व को आनंद के साथ मनाते हैं।