व्याख्या कीजिये :-
गुस्सा आदमी को सोचने लायक नहीं छोड़ता I
नमस्कार मित्र,
गुस्सा मनुष्य को सोचने लायक नहीं छोड़ता है। इसका तात्पर्य यह है कि गुस्सा मनुष्य के मस्तिष्क पर इस प्रकार का बुरा प्रभाव डालता है कि मनुष्य की सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। वह क्रोध में भरा हुआ सही गलत की पहचान खो देता है। क्रोध मनुष्य के रक्तचाप को बढ़ा देता है। इसके कारण वह और भी उग्र हो जाता है। उसे शान्त करना सरल नहीं होता। जब तक वह उस व्यक्ति पर से अपना क्रोध नहीं निकाल देता जिसने उसको क्रोध दिलाया था। तब तक शांत नहीं होता है। वह क्रोध में भरा हुआ कुछ भी गलत बोल देता है। कई बार वह इस प्रकार की बात बोल देता है, जो उसके संबंधों को बिगाड़ देती है।