Immandari ek jivan Shelli pr nibandh 700 - 800 words

मित्र

ईमानदारी ऐसा गुण है, जो मनुष्य के स्वभाव में सराहा जाता है। इस गुण के सहारे ही एक गरीब मनुष्य राजाओं के समान आदर पाता है। प्रायः ईमानदार लोग मिलते नहीं है और जो होते हैं, उन्हें कोई खोना नहीं चाहता है। एक मालिक अपने नौकर में ईमानदारी का भाव चाहता है। क्योंकि सब ईमानदारी के महत्व को समझते हैं। ईमानदारी का संबंध दूसरों से नहीं बल्कि अपने प्रति भी है। एक व्यक्ति ईमानदार तभी कहलाता है, जब वह स्वयं के प्रति ईमानदार हो। अर्थात स्वयं को समझे, स्वयं की सोच जाने अपने बारे में ईमानदारी से विचार-विमर्श करें। हम दूसरों के प्रति ईमानदार तो रह सकते हैं परन्तु कई बार स्वयं के प्रति ईमानदार नहीं हो पाते। उदाहरण के लिए यदि हमें किसी की  वस्तु पसंद आ रही है और हमारे मन में लालच उत्पन्न होता है। हम उस वस्तु को पसंद करते हुए भी भावना को दबा देते हैं। परन्तु स्वयं यह स्वीकार नहीं करते कि हमें वह चीज़ बहुत पसंद है। हमें चाहिए कि स्वीकार करें हमारे अंदर क्या अच्छा है और क्या बुरा है? हमारे अंदर भी बहुत-सी कमज़ोरियाँ विद्यमान हो सकती हैं। हमें उन कमज़ोरियों के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। हम अपने प्रति जितने अधिक ईमानदार रहेंगे, दूसरों के प्रति उतने अधिक वफादार होंगे। इसलिए, ईमानदारी को अपनी जीवनशैली बना लेना चाहिए।

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