In the chapter premchand ke phate joote : who is kumbhandas ??????
Please answer its important....!!!
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
कुंभनदास भक्तिकाल के कवि थे। ये विरक्त भाव के कवि थे, इनको सम्मान और नाम दोनों से कोई लेना-देना नहीं था। एक बार उनको अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी बुलाया और खूब पैसा और सम्मान दिया मगर उनको तब भी वहाँ जाना अच्छा नहीं लगा था। कुंभनदास का प्रसंग इस सन्दर्भ में ठीक बैठता है कि उनका जूता तो फ़तेहपुर सीकरी आने-जाने में ही घिस गया था। बनिए से बचने के लिए लम्बा चक्कर लगाते रहे और जूता घिसते रहे।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
कुंभनदास भक्तिकाल के कवि थे। ये विरक्त भाव के कवि थे, इनको सम्मान और नाम दोनों से कोई लेना-देना नहीं था। एक बार उनको अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी बुलाया और खूब पैसा और सम्मान दिया मगर उनको तब भी वहाँ जाना अच्छा नहीं लगा था। कुंभनदास का प्रसंग इस सन्दर्भ में ठीक बैठता है कि उनका जूता तो फ़तेहपुर सीकरी आने-जाने में ही घिस गया था। बनिए से बचने के लिए लम्बा चक्कर लगाते रहे और जूता घिसते रहे।