Inke arth spast kre..

मित्र ! चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस। जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस॥ रहीम के दोहे भावार्थ : इन पंक्तियों में रहीम जी ने राम के वनवास के बारे में बताया है। जब उन्हें 14 वर्षों का वनवास मिला था, तो वे चित्रकूट जैसे घने जंगल में रहने के लिए बाध्य हुए थे। रहीम जी के अनुसार, इतने घने जंगल में वही रह सकता है, जो किसी विपदा में हो। नहीं तो, ऐसी परिस्थिति में कोई भी अपने मर्ज़ी से रहने नहीं आएगा।                                                   दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं। ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं॥ रहीम के दोहे भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने हमें एक दोहे की महत्ता के बारे में बताया है। दोहे के चंद शब्दों में ही ढेर सारा ज्ञान भरा होता है, जो हमें जीवन की बहुत सारी महत्वपूर्ण सीख दे जाते हैं। जिस तरह, कोई नट कुंडली मारकर खुद को छोटा कर लेता है और उसके बाद ऊंचाई तक छलांग लगा लेता है। उसी तरह, एक दोहा भी कुछ ही शब्दों में हमें ढेर सारा ज्ञान दे जाता है।                                                   धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघाय। उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय॥ रहीम के दोहे भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में कबीर दास जी कहते हैं कि वह कीचड़ का थोड़ा-सा पानी भी धन्य है, जो कीचड़ में होने के बावजूद भी ना जाने कितने कीड़े-मकौड़ों की प्यास बुझा देता है। वहीँ दूसरी ओर, सागर का अपार जल जो किसी की भी प्यास नहीं बुझा सकता, कवि को किसी काम का नहीं लगता। यहाँ कवि ने एक ऐसे गरीब के बारे में कहा है, जिसके पास धन नहीं होने के बावजूद भी वह दूसरों की मदद करता है। साथ ही एक ऐसे अमीर के बारे में बताया है, जिसके पास ढेर सारा धन होने पर भी वह दूसरों की मदद नहीं करता।

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Am sorry I don't know
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Still accept the friend request
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Aey bhai name btayega apna ..kyo pareshan kr rha re...
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Sorry can't type so long ...
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Are mn user name bta de..
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ZN Malik I think
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Ab yh malik kon he...
New hoga..
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Nhi name hai MN user ka
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Ha vhi to new he yh bnda.....
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Hiiiii
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Hii hru....
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Hii I am back
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Hello anu...
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