is path ka saransh kya hai ?

Hi,
यह पाठ हिन्दी प्रेमी फ़ादर बुल्के जी को समर्पित है। बुल्के जी का जन्म बेल्जियम के रैम्सचैपल शहर में हुआ था। परन्तु सन्यास की दीक्षा लेने के पश्चात उन्होंने भारत को अपना कर्म स्थान बना लिया और अपनी अन्तिम साँस भी यहीं पर ली। वह एक सद्चरित व स्नेही स्वभाव के व्यक्ति थे। उनका स्वभाव ऐसा था की एक बार जिससे उनका परिचय हो जाए, वह उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। वह उस व्यक्ति पर अपार प्रेम और वात्सल्य की वर्षा कर देते थे की उनसे अलग होने की कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी। फादर बुल्के कहने के लिए इस देश के नहीं थे परन्तु सही अर्थों में वही एक सच्चे भारतीय थे। फादर बुल्के को एक भारतीय द्वारा हिन्दी सही से नहीं बोलना अखरता था। उनके अनुसार यह हिन्दी का अपमान था जो उन्हें दुखी करता था। भारत में रहते हुए उन्होंने हिन्दी को अपना लक्ष्य बनाया। एक विदेशी होने के बाद भी उन्होंने हिन्दी के प्रचार-प्रसार, विकास, वृद्धि व सम्मान के लिए जो कार्य किए वह अविस्मरणीय है। ऐसे थे फादर बुल्के जिन्होंने पराए देश के लोगों व वहाँ की भाषा को इतना प्रेम व स्नेह दिया कि भारतीयों के लिए वह मानवीय करुणा की दिव्य चमक के समान हो गए। उनके इस योगदान के लिए भारत व यहाँ के लोग सदैव उनके अभारी रहेगें।
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ !

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thank you ma,am

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