Iska bhav spast kare

मित्र इस दोहे का भाव यह है कि-

 यदि आपका मन शीतल और शांत रहता है, तब इस संसार में कोई भी आपका दुश्मन नहीं हो सकता। यदि आप अपने अहंकार को छोड़ दें, तो सब आपकी ओर प्यार और सद्भावना से देखेंगे।

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