iss kavita mein kavi kis par vyang kar rahe hai?
आदमीनामा में कवि आदमी पर ही व्यंग्य कर रहा है। उसके अनुसार भगवान ने सभी को एक जैसा बनाया है परन्तु उसने स्वयं को अलग-अलग कर दिया है।
iss kavita mein kavi kis par vyang kar rahe hai?
आदमीनामा में कवि आदमी पर ही व्यंग्य कर रहा है। उसके अनुसार भगवान ने सभी को एक जैसा बनाया है परन्तु उसने स्वयं को अलग-अलग कर दिया है।