Iss mei kon sa ras hai
विन्ध्य के वासी उदासी तपोव्रतधारी महा बिन नारि दुखारे।
गौतम-तीय तरी, तुलसी, सो कथा सुनि भे मुनि-बृन्द सुखारे।।
​ह्वै हैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पग मंजुल कंजतिहारे।
कींन्हीं भली रघुनायक चू करुना करि कानन को पगु धारे।।

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
इसमें भक्ति रस है।

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