Jab vyavaharikta ka bakhaan hone lagtaa hai tab practical idealiston ke jivan se adarsh dheere-dheere peeche hatne lagte hai aur unki vyavaharik soojh-boojh hi aage aane lagti hai.?

Aashay spasht ki jiye?
Jhen Ki Den Ch. 7
Not related to gandhiji

मित्र,
जब व्यवहारिकता का बखान होने लगता है, practical idealist के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं। वह आदर्शों को व्यवहार में मिलाकर प्रयोग करते हैं। उनके आदर्श कोरे कहने के लिए नहीं होते। वह उन्हें अपने व्यवहार में शामिल कर प्रयोग में लाते हैं। उदाहरण के लिए यदि वह कहते हैं कि झूठ बोलना पाप है, तो वह पहले स्वयं झूठ बोलना छोड़ देते हैं। धीरे-धीरे इन्हें अपने व्यवहार में शामिल कर लेते। इसके बाद यह आदर्श का रूप धारण कर लेते हैं। इसलिए उन्हें practical idealist कहा जाता है।  व्यवहार के कारण वह संसार के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चल पाता है और अपने आदर्शों को जीवंत रख पाता है। उनकी व्यवहारिक सूझबूझ ही सामने आती है।

  • 2
What are you looking for?