Jina marna sab bekar kyu ho jata hai?toph kavita ke adhar par sidh kijiye

मित्र!

इमारत की यदि नींव ही कमजोर हो जाए, तो उसका अस्तित्व अधिक समय तक नहीं रह पाता। कवि तोप के माध्यम से अपनी बात रखता है। उनके अनुसार यह तोप अपने समय की बड़ी जबर रही होगीं। उस समय इसके सामने अच्छे-अच्छे सूरमा भी धराशाई हो जाते होगें। किले की रक्षा का सारा भार इसके अकेले के कंधे पर ठिका होगा। आज यह तोप निस्तेज-सी पड़ी हुई है। सैलानियों द्वारा इसे कौतुहल की दृष्टि से देखा जाता है। बच्चों के लिए यह खेलने की सामग्री से ज्यादा कुछ नहीं है। पक्षियों का भी यह निवास-स्थान बन चुकी है। इन सब बातों से यह एक और बात याद दिलाती है कि कितना बड़ा राजा या शहशांह क्यों न हो, उसका अंत एक दिन अवश्य होता है। इन सब बातों से जीना मरना सब बेकार हो जाता है।

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Jeena marna bekaar
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