"jinda aadmi nanga bhi reh sakta hai parantu murde ko nanga kaise vida kiya jay ?" is pankti se lekhak ka kya abhipray hai

मित्र इस पंक्ति का अर्थ है कि जिंदा व्यक्ति कैसे भी रह सकता है। परन्तु मृत व्यक्ति को बिना कफन के नहीं भेजा जा सकता है। यह हमारे समाज द्वारा बनाए गए रिवाज़ हैं जिन्हें निभाना ही पड़ता है। यहा लेखक व्यंग्य भी करता है कि जीवित मनुष्य के दुख स किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मृत्यु के बाद सब उसके प्रति अपनी भावुकता प्रकट करते हैं। उसके कफन को अनिवार्य कर दिया जाता है। चाहे उस परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी भी हो। 

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