jiske kaaran dhooli bhare heere kehlaaye se lekhak ka kya taatpariya hai

मित्र यह पंक्तियाँ अधूरी हैं। हम इसकी आरंभिक पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। इसका अर्थ समझाने में सरलता होगी-

जिसके रज में लोट-लोट कर बड़े हुये हैं।
घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुये हैं॥
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये।
जिसके कारण धूल भरे हीरे कहलाये॥

 

पहली पंक्ति-  हम इसी मिट्टी में खेलकूद के ही बड़े हुए हैं।

दूसरी पंक्ति- हम इसी मिट्टी में घुटने के बल चले हैं तथा इसी में खड़े होकर चलना भी सीखा है।

तीसरी पंक्ति- हमने परमहंस के समान बचपन में इसके मध्य बहुत सुख पाएँ हैं। अर्थात इस के बीच खेलकर ही हम प्रसन्न होते थे।

चौथी पंक्ति- इसमें खेलने के कारण ही हम धूल से भरे हीरे कहलाए। अर्थात जब हम खेलते थे, तो प्रायः धूल में सन जाते थे और अपने माता-पिता को धूल में सने ऐसे लगते थे मानो हीरे के समान हों। 

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