'jivan sirf sukho ki raah nahi hai'. 'agneepath kavita ke aadhar par 80 se 100 shabdo mein apne vichaar prakat kijiye.

जीवन सुख-दुख, अच्छे-बुरे आदि भावों के मिले-जुले रूप का नाम है। केवल सुख को जीवन मान लेना मूर्खता है। सुख का तभी आभास होता है, जब दुख का सामना किया गया हो। अन्यथा सुख का पता नही चलता। मनुष्य के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब उसे कांटों पर से होकर चलना पड़ता है। ऐसा लगता है मानो संसार, परिस्थितियाँ तथा समय उसके विरोधी हो गए हैं। ऐसे समय में जो मनुष्य स्थिर होकर इनसे लड़ता है वही अपने मनुष्य होने को सार्थक कर पाता है। जीवन में सुख रूपी फूलों के अतिरिक्त दुख रूपी अग्नि की भयंकर ज्वाला भी हैं। इन ज्वाला में जो स्वयं को निकाल पाए और निरतंर बढ़ता चला जाए, उसे किसी भी प्रकार का दुख तथा कष्ट आहत नहीं कर पाता है। इसलिए कहा जाता है कि जीवन सिर्फ सुख की राह नहीं है। यह तो काटों का भी सफर है पर इन्हें सह जाए उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

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