कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी ka aashay spasht kijiye

कवि ने प्रेयसी को कुंतल के फूलों के समान कहा है। जो उसके कष्टसाध्य जीवन में चांदनी के समान विद्यमान है।

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