kabir ki sakhiyan aur pad kabir ke dharmik aur samajik aur sampradayik sadbhav se sambandhit hai. spasht kare?

वे साखी तथा सब्द के माध्यम से धर्म में व्याप्त आडंबरों का विरोध करते हैं। ढोंग तथा पोंगापन पर व्यंग्य कसते हैं। उनके अनुसार काशी तथा काबा के  मध्य अंतर नहीं है। वह मानते है कि ईश्वर मंदिर तथा मस्जिद पर नहीं मिलता बल्कि अपने हद्य पर मिलता है। वह ईश्वर को स्वयं के ह्दय पर ढूँढने के लिए कहते है। अतः लड़ने के स्थान पर हमें आपस में प्रेम करना चाहिए।

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