kabir ne apne sakhiyon main rudiyon ka virodh kis prakar kiya hai???? udahrahan sahit spasht kijiye.

प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है -
कबीर ने अपने साखियों से समाज में व्याप्त रूढ़ियों पर कड़ा प्रहार किया है । उनके दोहों में धर्म और जाति में फैले हुए पाखंड और आडंबरों पर चोट किया गया है । 
उदाहरण के लिए 
पाहन पुजे तो हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहाड़।
ताते या चाकी भली, पीस खाए संसार।।

इस दोहे में कबीर ने मूर्ति पूजा के विरोध में कहा है कि अगर पत्थर को पूजने से ईश्वर की प्राप्ति होती , तो मैं पहाड़ की पूजा करता । उन्होंने उस पूजे जाने वाले पत्थर से चक्की को बेहतर बताया है । वे कहते हैं कि उससे वह चक्की भली है जिससे संसार को कुछ फायदा भी मिलता है । 
काँकर पाथर जोरि कै, मस्जिद लई बनाय।
ता चढ़ मुल्‍ला बांग दे, बहिरा हुआ खुदाए।।

धर्म में फैले हुए आडंबरों पर प्रहार करते हुए वे लिखते हैं कि क्या खुदा बहरा हो गया है कि उसे आवाज देने के लिए मस्जिद बनाकर उसपर चढ़कर खुदा को आवाज दी जाती है ।   
कबीर के दोहों में हम समाज में फैली हुई कुरीतियों का विरोध स्पष्ट रूप से देखते हैं । वे तटस्थ होकर सबकी आलोचना करते हैं । 

आभार । 

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