kabirdasji ne ghamand ko tyagne kee seekh kyo dee hai? aur logo par iska kya prabhav padta hai?

Hi Cuteashi,
कबीरदास जी घमंड (अहंकार) को त्यागने के लिए इसलिए कहते हैं क्योंकि घमंड में पड़ा हुआ व्यक्ति स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगता है। उसको लगता है की दूसरे मेरे सामने कुछ हैं ही नहीं। ऐसी स्थिति में वह सबका अपमान करने लग जाता है। वह यह भुल जाता है कि समय एक-सा नहीं रहता, कल उसका बुरा दिन भी आ सकता है। उसने जिस के साथ बुरा व्यवहार किया है, वह भी उसके साथ उसके जैसा ही व्यवहार कर सकता है। ऐसे समय में तकलीफ के सिवाए कुछ प्राप्त नहीं होता क्योंकि उसने सबको अपना शत्रु बना लिया होता है।
कबीरदास जी की उस समय की व आज की लोकप्रियता से ही अनुमान लगाया जा सकता है की उनकी बातों का लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि उनकी यह बात सत्य नहीं होती तो लोग उन्हें क्यों इतना सम्मान देते। उन्होंने जो भी कहा वह सच था। उन्होंने लोगों की आँखें खोलने का प्रयास किया था, जिसमें वह उस समय भी सफल भी थे और आज भी हैं।
 
ढेरों शुभकामनाएँ !
 
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