Karun ras ke udaharan.

Hi!
वह आता--   
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता। साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते ,  और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।  भूख से सूख ओठ जब जाते  दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते ? घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।   चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए, और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए।

HOPE IT HELPS..

 
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हा धर्मवीर! आर्य भीम हरे हरे।
हा प्रिय नकुल सहदेव भ्राता उत्तरे हा उत्तरे।
हा देविकृष्णे! हा सुभद्रे! यह अधम अर्जुन चला।
धिक् है क्षमा करना मुझे मुझसे हुआ रिप का भला॥
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Chat Rhe Jhuti Pattal , Ve sabhi sadak par khade huye , aur Jhapat lene ko unse Kutte bhi hai ade huye !!
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ashdlashd
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Karun ras ( examples)

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1. मधुप गुनगुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,  मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी
​2. छाया मत छूना मन होगा दुःख दूना​
 
 
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रानी विधवा हुई हाय। विधि को भी दया नहीं आई।।
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???? ??? ???? ??????| ?? ???? ?? ???? ????| right ha answer ok
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Muni ke vachan sunkar lakshmand kay bole
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Iora
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Triumph of Surgery. Summary: This story has been written by James Herriot. The subject of this story is a pet dog which is spoilt by its owner. The owner indulges
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