kavi manushyo se kisi se sahayta ki apeksha Nahi rakhne ki baat kyo karte hai?

मित्र कवि मनुष्य को कहता है कि जीवन संघर्ष में तू बढ़ता जा। यदि तू दूसरों से सहायता की अपेक्षा रखेगा, तो अपने मार्ग से भटक जाएगा। प्रायः मनुष्य सहायता की उम्मीद में रूक जाता है, जिससे उसका मार्ग बाधित होता है। अतः वह चाहता है कि मनुष्य स्वयं कठिनाइयों तथा मुसीबतो से लड़ना सीखे।

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