Kavi ne chaand se kya gappe lagaee?

कवि चाँद से बातें करते हुए पूछते हैं कि, आप बहुत गोल हो मगर आप जरा-सा तिरछे नजर आते हो। आपने आकाश रूपी वस्त्र पहना हुआ है जो तारों से जड़ा हुआ है। वह आगे पूछते हैं कि इस आकाश रूपी कपड़े से आपका केवल मुहँ दिखता है जो बहुत सफ़ेद व गोल-मटोल है।आपने अपनी पोशाक रूपी आकाश को चारों दिशाओं में फैलाया हुआ है। फिर भी अनोखी बात यह है कि आप कुछ तिरछे से क्यों दिखाई देते हैं। अर्थात्‌ हम हैरान हैं कि आप गोल मटोल हैं फिर भी हमें तिरछे दिखते हैं। वह इस बात से हैरान-परेशान है कि चाँद तिरछा क्यों नजर आता है। आखिर में वह इस नतीजे पर आते है कि चाँद को बीमारी है। वह चाँद से कहते है आप हमें बुद्धू समझते हो। आप को लगता है कि हम यह नहीं समझते कि आप क्यों घटते-बढ़ते रहते हो। आपको अवश्य कोई बीमारी है।

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