kavi ne kala pahar kise kaha hai ?
मित्र कवि ने इस कविता में बाल श्रम का वर्णन किया है। जिस उम्र में बच्चों को पढ़ना तथा खेलना चाहिए। उस आयु में ये गरीब तथा असहाय बच्चे मजदूरी करने के लिए विवश होते हैं। कवि कहता है कि इन बच्चों के खिलौने किसी काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं। यहाँ 'काला' पहाड़ उन शोषक व्यक्तियों की ओर संकेत करता है जो इन मासूम बच्चों से उनका बचपन छीन लेते हैं।