Kavita mein jin riti-rivaajoka maarmik chitran hua hai ... unkavarnan kijiye...!!

मित्र कविता में गाँवों के रीति - रिवाजों के माध्यम से वर्षा ऋतु का चित्रण किया गया है। इसके माध्यम से कवि ने गाँव के कुछ रुढ़ीवादी परम्पराओं की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा की है; जैसे -

(1) दामाद चाहे किसी के भी घर आए लेकिन गाँव के सभी लोग उसमें बढ़ - चढ़कर भाग लेते हैं।

(2) गाँव की स्त्रियाँ मेहमान से पर्दा करती हैं।

(3) नायिका भी मेहमान के समक्ष घूँघट रखती है।

(4) सबसे बुज़ुर्ग आदमी को झुककर मेहमान का स्वागत करना पड़ता है।

(5) मेहमान के आगमन पर वधु - पक्ष के लोगों को दुल्हें के पैरों को पानी से धोना पड़ता है।

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