kavita on dhool
नमस्कार मित्र!
धूल
कल तक
पैरों के नीचे
जीवन तलाशती धूल
जाग उठी
पाकर हवा का स्पर्श
चढ़ गई धरती से
आसमान तक
फैल गया
धूल का अपना संसार
बंद हो गई
घूरती आँखें
उसका सामना करने के
डर से
पैरों के नीचे
जीवन तलाशती धूल
जाग उठी
पाकर हवा का स्पर्श
चढ़ गई धरती से
आसमान तक
फैल गया
धूल का अपना संसार
बंद हो गई
घूरती आँखें
उसका सामना करने के
डर से
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ!