KAVIYATRI LALDEYAD KE KON SE PRAYAS VYARTH HO RHE H ?

प्रिय छात्र

कवयित्री के कच्चेपन के कारण उसके मुक्ति के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं अर्थात् उसमें अभी पूर्ण रुप से प्रौढ़ता नहीं आई है जिसकी वजह से उसके प्रभु से मिलने के सारे प्रयास व्यर्थ हैं। वह कच्ची मिट्टी के उस बर्तन की तरह है जिसमें रखा जल टपकता रहता है और यही दर्द उसके हृदय में दु:ख का संचार करता रहा है, उसके प्रभु से उसे मिलने नहीं दे रहा।

धन्यवाद।

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Pata nahi..
xD.
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Hello
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Hehe..
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Kya hua ..?
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Bye mt kehan
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Bye...xdxd
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Sachi?
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Hii...xd
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Hiii
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Kkrh?
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Kya hua tmhe?
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Kuch bhi to nahi...kyu?
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To tmne mere 'bye forever'
Kehne ke baad bhi tmne bye ku kaha
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Gayab?
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Ese hi kha... Maze me bol diya...xd
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Tmhe ye sb mjak to nhi lg raha?
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Kyu majak nahi hai?
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Kya sb????
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I am
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Kl tmne ek bhi reply nhi di
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प्रिय मित्र!

आपका उत्तर इस प्रकार है:-

कवयित्री इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रहीं है। अत: उसे लगता है उसके द्वारा की जा रही सारी साधना व्यर्थ हुई जा रही है इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के प्रयास भी विफल होते जा रहे हैं।

धन्यवाद।।
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Psnl pe aao
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Mene kha to tha...
Me Thursday aur Sunday ko bhoot busy rahti hu...
Hello Riddhi
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Okay mtlb ye sb majak lg raha tha na mene jo bhi kl likha
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Kl ka majak hi to tha aur kya tha?
Tum kya sach me marne jaa rahe the?
Xd
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Hii bhavikaa diii
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Hello.. kese ho?
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Good and uu
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कवयित्री के कच्चेपन के कारण उसके मुक्ति के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं अर्थात् उसमें अभी पूर्ण रुप से प्रौढ़ता नहीं आई है जिसकी वजह से उसके प्रभु से मिलने के सारे प्रयास व्यर्थ हैं। वह कच्ची मिट्टी के उस बर्तन की तरह है जिसमें रखा जल टपकता रहता है और यही दर्द उसके हृदय में दुःख का संचार करता रहा है, उसके प्रभु से उसे मिलने नहीं दे रहा।
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