Kavya saundrya likhe-
of each dohe of chapter sakhiye and sabadh
मित्र,
काव्य साैंदर्य के अंतर्गत भाषा शैली, अलंकार, रस, लयात्मकता, शब्द शक्ति, बिंबात्मकता आदि के बारे में बताया जाता है। कबीर जी ने अपनी रचनाआें के लिए सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया है। अनुप्रास तथा रूपक अलंकार की छटा विद्यमान है। लयात्मकता देखने को मिलती है। रूपक अलंकार के माध्यम से बिंबात्मकता का समावेश किया गया है। भक्ति रस की प्रधानता है। ज्ञान को अधिक महत्व दिया गया है।
काव्य साैंदर्य के अंतर्गत भाषा शैली, अलंकार, रस, लयात्मकता, शब्द शक्ति, बिंबात्मकता आदि के बारे में बताया जाता है। कबीर जी ने अपनी रचनाआें के लिए सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया है। अनुप्रास तथा रूपक अलंकार की छटा विद्यमान है। लयात्मकता देखने को मिलती है। रूपक अलंकार के माध्यम से बिंबात्मकता का समावेश किया गया है। भक्ति रस की प्रधानता है। ज्ञान को अधिक महत्व दिया गया है।